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सार्वजानिक इमारतों का सुरक्षित जीवन

अचानक और उच्च तीव्रता की आपदाओं का विनाशकारी प्रभाव न केवल मनुष्यों पर बल्कि इमारतों व संरचनात्मक ढांचों पर भी पढता है | अस्पताल, स्कूल,प्रशासनिक भवन, अग्निशमन सेवा केंद्र, पुलिस स्टेशन, सामुदायिक केंद्र इत्यादि इमारतें आपदाओं के दौरान प्रत्त्युत्तर कार्यवाही में अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाऍ प्रदान करती है | जहाँ अस्पताल, प्रशासनिक भवन एवं नियंत्रण कक्ष आपदा के समय प्रत्त्युत्तर कार्यवाही के लिये उपयोग में लाये जा सकते है, वहीं स्कूल व सामुदायिक केंद्र आपदा के दौरान राहत शिविर के लिये उपयोगी होते हैं | संरचनात्मक और गैर संरचनात्मक क्षति न केवल उन लोगो के जीवन को जोखिम में डालती है जो ऐसी संरचनाओं के अंदर रहते है (जैसे - अस्पताल मे बीमार व्यक्ति व स्कूलों में बच्चे) बल्कि उन लोगो के जीवन को भी जोखिम में डालती है जो आपदा के दौरान त्वरित बचाव कार्य निष्पादित करते हैं | 2001 में भूज में आये भूकम्प में भूज का एक मात्र सिविल अस्पताल क्षति ग्रस्त हो गया था, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जानें गई जिसमें डॉक्टर, नर्स, मरीज, मरीज के रिश्तेदार, आगुन्तक व कर्मचारी शामिल थे | इस लिये तैयारियों व न्यूनीकरण उपायों को जीवन दायी इमारतों की रेट्रोफिटिंग में शामिल किया जाना चाहिए, इससे न केवल संवेदनशील लोगों का जीवन सुरक्षित होगा बल्कि आपदा के दौरान शीघ्र व कुशल प्रत्त्युत्तर कार्यवाही भी सुनिश्चित की जा सकेगी |

आपदा संभावित क्षेत्रो में सार्वजानिक जीवन दायी इमारतों के निर्माण के लिये सुरक्षा उपायों के बारे में निम्नलिखित लिंक्स के माघ्यम से उपयोगी जानकारी प्राप्त की जा सकती है - :

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