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![]() Quick Linksबाढ़, चक्रवात एवं सुनामी के लिये सुरक्षा उपाय बाढ़
भारत की सभी नदी घाटियां बाढ़ के दृष्टि से संवेदनशील हैं | विनाशकारी बाढ़ के मुख्य कारण भारी वर्षा, जलग्रहण की दयनीय दशा, अपर्याप्त जल निकासी एवं बाढ़ नियंत्रण के लिये बनाये गये बांधों का टूटना है | मिट्टी के खराब अवशोषण के कारण पानी का रिसाव जमींन की गहरी परतो में नहीं हो पाता है जो बाढ़ का प्रमुख कारण बनता है | मानव द्वारा नदी के किनारे निर्माण, खराब योजना एवं उनका गलत क्रियान्वयन, ख़राब जल निकासी और गंदेनाले मुख्य रूप से शहरी बाढ़ के लिये जिम्मेदार हैं | उष्णकटिबंधीय चक्रवात विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, उष्णकटिबंधीय चक्रवात ऐसी मौसमी व्यवस्था हैं जिसमे हवा का बल 34 समुद्री मील या 63 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होता है | समुद्र का अधिक गर्मं तापमान, उच्च सापेक्ष आद्रता एवं वायु मण्डलीय अस्थिरता का आपस में संयोजन, उष्णकटिबंधीय चक्रवात का प्रमुख कारण है | इस प्रकार की आपदा की मुख्य विशेषता विनाशकारी हवा, ऊची लहरें और मूसलाधार बर्षा है, जिससे बड़े पैमाने पर समुदाय प्रभावित होते हैं | भारत की 7516 किलोमीटर लम्बी तटीय रेखा उष्णकटिबंधीय चक्रवात के दृष्टिकोण से 10% जोखिम में है | औसतन 5 से 6 उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रत्येक वर्ष भारत में आते हैं जिनमें से ज्यादातर बंगाल की खाड़ी में होते हैं | मानसून के बाद चक्रवात अक्सर आते हैं और आमतौर पर उनकी तीव्रता अधिक विनाशकारी होती है | यह अनुमान है कि 58% चक्रवाती तूफान बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं जो अक्टूबर और नवम्बर में तटीय इलाको को प्रभावित करते हैं | तटीय क्षेत्र विनियम का कड़ाई से पालन, पूर्व चेतावनी प्रसार तंत्र, चक्रवात आश्रय स्थल एवं चक्रवात प्रतिरोधी आवास का निर्माण जैसे महत्वपूर्ण न्यूनीकरण उपायों को अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है | सुनामी
निम्न लिंक्स बाढ़ ,चक्रवात की आशंका वाले क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते है :
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