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बाढ़, चक्रवात एवं सुनामी के लिये सुरक्षा उपाय

बाढ़

भारत में नियमित रूप से आने वाली आपदाओं में बाढ़ प्रमुख आपदा है जिसका प्रभाव बड़े क्षेत्र पर पड़ता है | दुनिया के सबसे अधिक बाढ़ संभावित देशो में से भारत एक है | 35 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में से 23 राज्य बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील है, (स्रोत : गृह मंत्रालय, भारत सरकार ) | भौगोलिक क्षेत्र के दृष्टिकोण से देश का 1/8वां भाग या 40 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ के दृष्टिकोण से संवेदनशील है, जिसमें से 8 लाख हेक्टेयर भूमि प्रत्येक साल बाढ़ से प्रभावित होती है |

भारत की सभी नदी घाटियां बाढ़ के दृष्टि से संवेदनशील हैं | विनाशकारी बाढ़ के मुख्य कारण भारी वर्षा, जलग्रहण की दयनीय दशा, अपर्याप्त जल निकासी एवं बाढ़ नियंत्रण के लिये बनाये गये बांधों का टूटना है | मिट्टी के खराब अवशोषण के कारण पानी का रिसाव जमींन की गहरी परतो में नहीं हो पाता है जो बाढ़ का प्रमुख कारण बनता है | मानव द्वारा नदी के किनारे निर्माण, खराब योजना एवं उनका गलत क्रियान्वयन, ख़राब जल निकासी और गंदेनाले मुख्य रूप से शहरी बाढ़ के लिये जिम्मेदार हैं |

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, उष्णकटिबंधीय चक्रवात ऐसी मौसमी व्यवस्था हैं जिसमे हवा का बल 34 समुद्री मील या 63 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होता है | समुद्र का अधिक गर्मं तापमान, उच्च सापेक्ष आद्रता एवं वायु मण्डलीय अस्थिरता का आपस में संयोजन, उष्णकटिबंधीय चक्रवात का प्रमुख कारण है | इस प्रकार की आपदा की मुख्य विशेषता विनाशकारी हवा, ऊची लहरें और मूसलाधार बर्षा है, जिससे बड़े पैमाने पर समुदाय प्रभावित होते हैं |

भारत की 7516 किलोमीटर लम्बी तटीय रेखा उष्णकटिबंधीय चक्रवात के दृष्टिकोण से 10% जोखिम में है | औसतन 5 से 6 उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रत्येक वर्ष भारत में आते हैं जिनमें से ज्यादातर बंगाल की खाड़ी में होते हैं | मानसून के बाद चक्रवात अक्सर आते हैं और आमतौर पर उनकी तीव्रता अधिक विनाशकारी होती है | यह अनुमान है कि 58% चक्रवाती तूफान बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं जो अक्टूबर और नवम्बर में तटीय इलाको को प्रभावित करते हैं | तटीय क्षेत्र विनियम का कड़ाई से पालन, पूर्व चेतावनी प्रसार तंत्र, चक्रवात आश्रय स्थल एवं चक्रवात प्रतिरोधी आवास का निर्माण जैसे महत्वपूर्ण न्यूनीकरण उपायों को अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है |

सुनामी

टेक्टोनिक कारणों एवं परिणामो की वजह से समुद्र तल का अपनी समानान्तर स्थिति से ऊपर उठना व लहरों का उर्ध्वाधर विस्थापन का परिणाम सुनामी है | इसके कारण समुद्र में तेज एवं विशाल लहरें उठने लगती हैं जो लगभग 800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ती है और तटीय इलाको पर एक उची दीवार के रूप में भीषण तरीके से हमला करती है और रास्ते में आने वाली हर एक चीज को नष्ट कर देती है | सुनामी की लहरें एवं उनकी ऊचाई तटों की विभिन्नता के कारण अलग-अलग होती है | अभी हाल में ही विनाशकारी सुनामी ने 26 दिसम्बर, 2004 को भारतीय तट पर हमला किया था जिसमें 9395 लोगों की जानें गई और लगभग 26 लाख 63 हजार लोग प्रभावित हुए | भारत के पूर्वी और पश्चीमी तट और द्वीप क्षेत्र, अण्डमान निकोबार, सुमात्रा दीप एवं अरब सागर के मकरान क्षेत्र टेक्टोनिक गतिशीलता के कारण सुनामी के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील हैं |

निम्न लिंक्स बाढ़ ,चक्रवात की आशंका वाले क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते है :

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